Thursday, December 10, 2020

प्रार्थना श्लोक || sanskrit prayer slokas

वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ: । 
निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ॥ 

भावार्थ : हे हाथी के जैसे विशालकाय जिसका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान हैं । बिना विघ्न के मेरा कार्य पूर्ण हो और सदा ही मेरे लिए शुभ हो ऐसी कामना करते है ।

शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपद: । 
शत्रुबुध्दिविनाशाय दीपजोतिर्नामोस्तुते ॥ 

भावार्थ : ऐसे देवता को प्रणाम करती हूँ ,जो कल्याण करता है, रोग मुक्त रखता है, धन सम्पदा देता हैं, जो विपरीत बुध्दि का नाश करके मुझे सद मार्ग दिखाता हैं, ऐसी दीव्य ज्योति को मेरा परम नम: । 

या देवी सर्वभूतेशु, शक्तिरूपेण संस्थिता । 
नमस्तसयै, नमस्तसयै, नमस्तसयै नमो नम: ॥ 

भावार्थ : देवी सभी जगह व्याप्त है जिसमे सम्पूर्ण जगत की शक्ति निहित है ऐसी माँ भगवती को मेरा प्रणाम, मेरा प्रणाम, मेरा प्रणाम । 

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । 
शरण्ये त्र्म्बकें गौरी नारायणि नमोस्तुते ॥ 

भावार्थ : जो सभी में श्रेष्ठ है, मंगलमय हैं जो भगवान शिव की अर्धाग्नी हैं जो सभी की इच्छाओं को पूरा करती हैं ऐसी माँ भगवती को नमस्कार करती हूँ । 

या कुंदेंदुतुषारहार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता । 
या वीणावरदण्डमंडितकरा, या श्वेतपद्मासना ॥ 
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभ्रृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता । 
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा ॥ 

भावार्थ : जो विद्या देवी कुंद के पुष्प, शीतल चन्द्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह श्वेत वर्ण की है और जिन्होंने श्वेत वर्ण के वस्त्र धारण किये हुए है, जिनके हाथ में वीणा शोभायमान है और जो श्वेत कमल पर विराजित हैं तथा ब्रह्मा,विष्णु और महेश और सभी देवता जिनकी नित्य वन्दना करते है वही अज्ञान के अन्धकार को दूर करने वाली माँ भगवती हमारी रक्षा करें 

ॐ असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय, मॄत्योर्मा अमॄतं गमय ॥ 

भावार्थ : हे प्रभु! असत्य से सत्य, अन्धकार से प्रकाश और मृत्यु से अमरता की ओर मेरी गति हो ।

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